शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

सादर निमंत्रण ...



















ब्लॉग जगत के सभी आदरणीय जनों के लिये यह एक सहज निमंत्रण है परिकल्पना समूह की तरफ से जिसमें हिंदी साहित्य निकेतन अपनी पचास वर्ष की विकास यात्रा को आप के समक्ष रखने के लिए तथा परिकल्पना डॉट कॉम के द्वारा विगत वर्ष उद्घोषित 51 चिट्ठाकारों (ब्लॉगर्स ) का सारस्वत सम्मान करने के लिए तथा नुक्कड़ डॉट कॉम के द्वारा 13 ब्लॉगर्स को हिंदी ब्लॉगिंग में दिए जा रहे उल्लेखनीय योगदान के दृष्टिगत नई सम्मान योजना की शुरुआत करने हेतु हम 30 अप्रैल 2011 को नई दिल्ली के हिन्दी भवन (विष्णु दिगंबर मार्ग) में आपकी उपस्थिति में एक आयोजन कर रहे हैं और जिसमें कुछ ही घंटे शेष बचे हैं ...बाहर से आने वाले ब्लॉगर्स कुछ तो पहुंच चुके हैं और कुछ पहुंचने की तैयारी में है ... तो आपको भी आना है और इस आयोजन का हिस्सा बनना है, जिन्हें आप अभी तक पढ़ते आये हैं एवं उन्हें तस्वीरों में देखते आये हैं उनसे मिलने का यह सुनहरा अवसर लेकर आये हैं आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी ...और आपको बनना है इन पलों का साक्षी ... ‍क्योंकि -

(इस अवसर पर अविनाश वाचस्पति और रवीन्द्र प्रभात के द्वारा संपादित पुस्तक हिंदी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रान्ति, रवीन्द्र प्रभात का नया उपन्यास ताकि बचा रहे लोकतंत्र और रश्मि प्रभा द्वारा संपादित परिकल्पना समूह की नई त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष का लोकार्पण भी होना है )


हमें विश्वास है कि आप अवश्य आएँगे और अपने साथ में अपने परिजनों को भी लाएंगे आपके स्वागत के लिये ...यह निमंत्रण पत्र आपके नाम .... और जो ब्लॉगर्स साथी किसी वजह से नहीं पहुंच पा रहे हैं वह इस आयोजन की गतिविधियां यहां देखें इंटरनेट के माध्यम से यहां भी देखें ......

http:// bambuser.com/channel/girishmukul

http:// nukkadh.com

http:// parikalpanna.com

12 टिप्‍पणियां:

  1. bhagyashali hun main kal Rashmi didi ko aur aap sab logon ko pratyakh dekh sakoonga !

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  2. aayojan safalta kee naee bulandiyo ko chooe aur jo bhee sammanit ho rahe hai sabhee ko hardik badhaee........

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  3. sada ji
    is mahatvpurn ayojan me ham pahunch to nahi sakte par jo bhi log sammanit kiye jarahe hain unko bahut bahut badhai .avam ayojan ki saflta ke liye hardik shubh-kamnaaye.
    poonam

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....