मंगलवार, 12 मई 2009

कुछ भरम में रख . . .

मुझसे इस कदर दुश्मनी न कर की ,
दोस्ती से उठ जाए यकीं लोगो का ।

कुछ भरम में रख मुझे औरों को भी रहने दे,
मर न जाए ऐसी बातों से ज़मीर लोगों का ।

मैं कैसे मन लूँ नेक इंसान उस शख्स को,
जो समझता है ख़ुद को खुदा लोगों का ।

ये ठीक है तेरा ओहदा ऊँचा है हम सबसे,
बनाने में तुझे बड़ा, हाँथ है इन्ही लोगों का ।

हालात से इस तरह "सदा" मत कर समझौता
वरना हक़ मांगेगा कौन कमज़ोर लोगों का ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. kya baat hai ...sada sis...bahut achha ...
    हालात से इस तरह "सदा" मत कर समझौता
    वरना हक़ मांगेगा कौन कमज़ोर लोगों का ।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....